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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2776
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- भारत के उत्तरी विशाल मैदानों की उत्पत्ति, महत्व एवं स्थलाकृति पर विस्तृत लेख लिखिए।

उत्तर -

उत्तरी मैदान

विशाल उत्तरी मैदान उत्तर में हिमालय और दक्षिण में प्रायद्वीपीय पठार के बीच स्थित हैं। ये मैदान पश्चिम में उत्तरी राजस्थान से लेकर पूर्व में गंगा डेल्टा तक और आगे पूर्व में असम तक फैले हुए हैं। इन मैदानों को सिंधु - गंगा - ब्रह्मपुत्र मैदान के रूप में भी जाना जाता है। सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र मैदान एक जलोढ़ क्षेत्र बनाता है जो 7.8 लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है। यह मैदान सिंधु के मुहाने से गंगा के मुहाने तक 3200 किलोमीटर की लम्बाई में फैला हुआ है, जिसमें 2,400 किलोमीटर भारतीय क्षेत्र में है जो उत्तरी भारत का बड़ा हिस्सा है। पूर्व से पश्चिम की ओर औसत चौड़ाई 150 से 300 किमी के साथ इस मैदान का निर्माण गंगा, सिंधु और ब्रह्मपुत्र घाटियों तथा उनकी सहायक नदियों से हुआ है। इसमें भारत की कुल जनसंख्या का 40% से अधिक शामिल है। यह 25 सेमी प्रति वर्ग किलोमीटर की औसत ढलान के साथ एक अत्यंत समतल मैदान है।

उत्तरी मैदानों का महत्व

अत्यधिक उपजाऊ मैदानी जलोढ़ मृदा, बारहमासी नदियों और अनुकूल जलवायु ने मैदानी प्रदेश को कृषि की दृष्टि से सर्वाधिक समृद्ध बना दिया है। यहां विभिन्न खाद्य फसलों के साथ-साथ गैर-खाद्य फसलें भी उगाई जाती हैं। इस प्रदेश को 'देश का अन्न भंडार' कहा जाता है। मैदानी इलाकों में देश का लगभग 1 / 3वां भाग शामिल है जिसमें देश की 40% आबादी निवास करती है। प्रारम्भ से ही मैदानी इलाकों ने कई राजनीतिक, धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को देखा है। उत्तरी मैदान भारतीय इतिहास और संस्कृति का प्रमुख रंगमंच रहा है।

विशाल मैदानों की उत्पत्ति

मैदानों की उत्पत्ति की प्रक्रिया आज भी वितर्क योग्य है क्योंकि कई विद्वानों ने विभिन्न विचारों का प्रतिपादन किया है।

(1) सामान्य अवधारणा - भारत के विशाल मैदान की उत्पत्ति कई परस्पर प्रक्रियाओं और तंत्रों जैसे अवसादन, अवतलन, उत्थान और समुद्र प्रतिगमन आदि के परिणाम हैं। यह माना जाता है कि एक विशाल खाई (जिसे भू-सन्नति या भू-अभिनति के रूप में जाना जाता है) की उत्पत्ति हिमालय के निर्माण के कारण हुई। हिमालय और प्रायद्वीप से निकलने वाली नदियों ने खाई में तलछट जमा करना शुरू कर दिया।

भारी मात्रा में अपरदित सामग्री ( जलोढ़) के निरंतर अवसादन के बढ़ते भार से खाई या गर्त (trench ) का क्रमिक अवतलन हुआ। इस प्रकार, लम्बी अवधि में अवसादन और अवतलन दोनों प्रक्रियाओं की पुनरावृत्ति के परिणामस्वरूप अवसादों या तलछट का निक्षेपण वृहद् स्तर ( सैकड़ों मीटर) तक हो गया।

अंततः खाई या गर्त (trench) में अवसादों या तलछट के निक्षेपण से 'विशाल मैदान' बन गए। अरब सागर अग्रसरण परिणामस्वरूप, नए भूमि क्षेत्र समुद्र से मुक्त हो गए और मैदानी भाग का हिस्सा बन गए।

(2) E - Suess की अवधारणा - E - Suess के अनुसार, हिमालय और प्रायद्वीपीय भारत के बीच हिमालयी पर्वतन के कारण एक व्यापक द्वीप (foredeep) का निर्माण हुआ। द्वीप या अग्रभूमि एक व्यापक अभिनति के रूप में था, जो अनियमित और तरंगित तल के साथ एक व्यापक समभिनति (कई छोटे अपनति या एंटीक्लाइन और अभिनति या सिंकलाइन) था।

हिमालय से बहने वाली नदियाँ तलछट को अग्रभूमि में जमा करने लगीं। तलछट दक्षिणाभिमुख नदियों द्वारा हिमालय के क्षरण से जमा हुआ। समयावधि में अग्रभूमि तलछट से भर गई और इस प्रकार 'विशाल मैदानों' का निर्माण हुआ।

(3) S-Burrard की अवधारणा - एस० बुर्रार्ड के अनुसार, हिमालय की उत्पत्ति और उत्थान के कारण 2400 किलोमीटर लम्बी और 500 मीटर गहराई वाली एक विस्तृत भ्रंश घाटी का निर्माण हुआ। इस भ्रंश घाटी के उत्तरी और दक्षिणी खंड का निर्माण क्रमशः हिमालय की दक्षिणी श्रेणियों और भारतीय प्रायद्वीप के अग्रभूमि द्वारा हुआ। उनके अनुसार यह दरार दो सामान्य भ्रंश के बनने से बनी है। भ्रंश घाटी में हिमालय और प्रायद्वीप के पठार से आने वाली नदियों द्वारा लाए गए अवसादों का जमाव हुआ। इस प्रकार, समयावधि में अवसादन के कारण विशाल मैदानों का निर्माण हुआ।

हेडन और आरडी ओल्डम जैसे विद्वानों के साथ भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण अन्य भूविज्ञानी ने सिंधु-गंगा गर्त के विषय में बुर्रार्ड के दृष्टिकोण को स्वीकार नहीं किया है। हिमालय के सामने भ्रंश घाटी के निर्माण पर बुर्रार्ड के विचार मान्य नहीं हैं क्योंकि ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है जो भारतीय प्रायद्वीप के उत्तरी अग्रभूमि पर भ्रंश घाटी के निर्माण के विचार को मान्य कर सके।

स्थलाकृति

विशाल मैदान कुछ उच्चावच के साथ समरूप सतह होते हैं। यह एक साधारण जलोढ़ उपजाऊ मैदान है जो नदियों के निक्षेपों द्वारा निर्मित है।

मैदान को निम्नलिखित पट्टियों में विभाजित किया जा सकता है-

(a) भाबर क्षेत्र - भाबर क्षेत्र हिमालय गिरिपाद के समानांतर 7-15 किलोमीटर चौड़ी पतली पट्टी है। यह सरंध्र, चट्टानी मिट्टी और कंकड़ से बनी है जो ढाल भंग के कारण हिमालय की तलहटी में जमा हो जाता है। यह उच्च श्रेणियों से आये हुए मलबे से बनी है। इस पेटी की सरंध्रता बहुत अधिक होने के कारण जल का रिसाव होता है तथा धाराएँ लुप्त हो जाती हैं और भूमिगत बहने लगती हैं।

(b) तराई क्षेत्र - भाबर के दक्षिण में तराई क्षेत्र है जो 15-30 किलोमीटर चौड़ा दलदली भाग है। आधार - शैल के कारण भाबर में लुप्त धाराएँ तराई में पुनः प्रकट हो जाती हैं। इस प्रकार, जल-स्तर बहुत अधिक होने की वजह से भूमि दलदली बनी रहती है। इसलिए तराई नम और घने जंगलों वाला क्षेत्र है जिसमें विभिन्न प्रकार के वन्यजीव निवास करते हैं।

(c) बांगर क्षेत्र - यह उत्तरी मैदानों का सर्वाधिक बड़ा हिस्सा है जो पुराने जलोढ़ से बना है और बाढ़ के मैदानों के ऊपर एक जलोढ़ वेदिका बनाता है। मृदा पुराने जलोढ़ से बनी है तथा शुष्क भागों में, इसमें कैल्सियम युक्त जमाव होता है जिसे कंकर कहते हैं।

(d) खादर क्षेत्र - खादर क्षेत्र बाढ़ के मैदानों में सभी नदियों के किनारे पाई जाती हैं। मृदा नए जलोढ़ से बनी है जो प्रत्येक वर्ष बाढ़ के कारण जमा हो जाती है।

(e) डेल्टाई मैदान - डेल्टाई मैदान में बड़ी मात्रा में नए जलोढ़ होते हैं जो खादर के रूप में है। यह गंगा नदी की निचली विस्तार में 1.9 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। यह निक्षेपण का क्षेत्र है क्योंकि नदी इस पथ में धीमी गति से बहती है। डेल्टा के मैदान में मुख्य रूप से पुराने पंक, नए पंक और दलदल शामिल हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्रादेशिक भूगोल में प्रदेश (Region) की संकल्पना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्रदेशों के प्रकार का विस्तृत वर्णन कीजिये।
  3. प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश को परिभाषित कीजिए।
  4. प्रश्न- प्रदेश को परिभाषित कीजिए एवं उसके दो प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  5. प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश से क्या आशय है?
  6. प्रश्न- सामान्य एवं विशिष्ट प्रदेश से क्या आशय है?
  7. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण को समझाते हुए इसके मुख्य आधारों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के जलवायु सम्बन्धी आधार कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के कृषि जलवायु आधार कौन से हैं? इन आधारों पर क्षेत्रीयकरण की किसी एक योजना का भारत के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित मेकफारलेन एवं डडले स्टाम्प के दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के भू-राजनीति आधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  12. प्रश्न- डॉ० काजी सैयदउद्दीन अहमद का क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण क्या था?
  13. प्रश्न- प्रो० स्पेट के क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित पूर्व दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
  15. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्य भी बताइए।
  16. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन की आवश्यकता क्यों है? तर्क सहित समझाइए।
  17. प्रश्न- प्राचीन भारत में नियोजन पद्धतियों पर लेख लिखिए।
  18. प्रश्न- नियोजन तथा आर्थिक नियोजन से आपका क्या आशय है?
  19. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन में भूगोल की भूमिका पर एक निबन्ध लिखो।
  20. प्रश्न- हिमालय पर्वतीय प्रदेश को कितने मेसो प्रदेशों में बांटा जा सकता है? वर्णन कीजिए।
  21. प्रश्न- भारतीय प्रायद्वीपीय उच्च भूमि प्रदेश का मेसो विभाजन प्रस्तुत कीजिए।
  22. प्रश्न- भारतीय तट व द्वीपसमूह को किस प्रकार मेसो प्रदेशों में विभक्त किया जा सकता है? वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- "हिमालय की नदियाँ और हिमनद" पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- दक्षिणी भारत की नदियों का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- पूर्वी हिमालय प्रदेश का संसाधन प्रदेश के रूप में वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- भारत में गंगा के मध्यवर्ती मैदान भौगोलिक प्रदेश पर विस्तृत टिप्पणी कीजिए।
  27. प्रश्न- भारत के उत्तरी विशाल मैदानों की उत्पत्ति, महत्व एवं स्थलाकृति पर विस्तृत लेख लिखिए।
  28. प्रश्न- मध्य गंगा के मैदान के भौगोलिक प्रदेश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- छोटा नागपुर का पठार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  30. प्रश्न- प्रादेशिक दृष्टिकोण के संदर्भ में थार के मरुस्थल की उत्पत्ति, महत्व एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- क्षेत्रीय दृष्टिकोण के महत्व से लद्दाख पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  32. प्रश्न- राजस्थान के मैदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  33. प्रश्न- विकास की अवधारणा को समझाइये |
  34. प्रश्न- विकास के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- सतत् विकास का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- सतत् विकास के स्वरूप को समझाइये |
  37. प्रश्न- सतत् विकास के क्षेत्र कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- सतत् विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्त एवं विशेषताओं पर विस्तृत लेख लिखिए।
  39. प्रश्न- अल्प विकास की प्रकृति के विभिन्न दृष्टिकोण समझाइए।
  40. प्रश्न- अल्प विकास और अल्पविकसित से आपका क्या आशय है? गुण्डरफ्रैंक ने अल्पविकास के क्या कारण बनाए है?
  41. प्रश्न- विकास के विभिन्न दृष्टिकोणों पर संक्षेप में टिप्पणी कीजिए।
  42. प्रश्न- सतत् विकास से आप क्या समझते हैं?
  43. प्रश्न- सतत् विकास के लक्ष्य कौन-कौन से हैं?
  44. प्रश्न- आधुनिकीकरण सिद्धान्त की आलोचना पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  45. प्रश्न- अविकसितता का विकास से क्या तात्पर्य है?
  46. प्रश्न- विकास के आधुनिकीकरण के विभिन्न दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
  47. प्रश्न- डॉ० गुन्नार मिर्डल के अल्प विकास मॉडल पर विस्तृत लेख लिखिए।
  48. प्रश्न- अल्प विकास मॉडल विकास ध्रुव सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा प्रादेशिक नियोजन में इसकी सार्थकता को समझाइये।
  49. प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के प्रतिक्षिप्त प्रभाव सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
  50. प्रश्न- विकास विरोधी परिप्रेक्ष्य क्या है?
  51. प्रश्न- पेरौक्स के ध्रुव सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  52. प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता की अवधारणा को समझाइये
  54. प्रश्न- विकास के संकेतकों पर टिप्पणी लिखिए।
  55. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय असंतुलन की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता निवारण के उपाय क्या हो सकते हैं?
  57. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमताओं के कारण बताइये। .
  58. प्रश्न- संतुलित क्षेत्रीय विकास के लिए कुछ सुझाव दीजिये।
  59. प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन का मापन किस प्रकार किया जा सकता है?
  60. प्रश्न- क्षेत्रीय असमानता के सामाजिक संकेतक कौन से हैं?
  61. प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन के क्या परिणाम हो सकते हैं?
  62. प्रश्न- आर्थिक अभिवृद्धि कार्यक्रमों में सतत विकास कैसे शामिल किया जा सकता है?
  63. प्रश्न- सतत जीविका से आप क्या समझते हैं? एक राष्ट्र इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त कर सकता है? विस्तारपूर्वक समझाइये |
  64. प्रश्न- एक देश की प्रकृति के साथ सामंजस्य से जीने की चाह के मार्ग में कौन-सी समस्याएँ आती हैं?
  65. प्रश्न- सतत विकास के सामाजिक घटकों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  66. प्रश्न- सतत विकास के आर्थिक घटकों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  67. प्रश्न- सतत् विकास के लिए यथास्थिति दृष्टिकोण के बारे में समझाइये |
  68. प्रश्न- सतत विकास के लिए एकीकृत दृष्टिकोण के बारे में लिखिए।
  69. प्रश्न- विकास और पर्यावरण के बीच क्या संबंध है?
  70. प्रश्न- सतत विकास के लिए सामुदायिक क्षमता निर्माण दृष्टिकोण के आयामों को समझाइये |
  71. प्रश्न- सतत आजीविका के लिए मानव विकास दृष्टिकोण पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
  72. प्रश्न- सतत विकास के लिए हरित लेखा दृष्टिकोण का विश्लेषण कीजिए।
  73. प्रश्न- विकास का अर्थ स्पष्ट रूप से समझाइये |
  74. प्रश्न- स्थानीय नियोजन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- भारत में नियोजन के विभिन्न स्तर कौन से है? वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- नियोजन के आधार एवं आयाम कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- भारत में विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में क्षेत्रीय उद्देश्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  78. प्रश्न- आर्थिक विकास में नियोजन क्यों आवश्यक है?
  79. प्रश्न- भारत में नियोजन अनुभव पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय नियोजन की विफलताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- नियोजन की चुनौतियां और आवश्यकताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  82. प्रश्न- बहुस्तरीय नियोजन क्या है? वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था के ग्रामीण जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की विवेचना कीजिए।
  84. प्रश्न- ग्रामीण पुनर्निर्माण में ग्राम पंचायतों के योगदान की विवेचना कीजिये।
  85. प्रश्न- संविधान के 72वें संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं में जो परिवर्तन किये गये हैं उनका उल्लेख कीजिये।
  86. प्रश्न- पंचायती राज की समस्याओं का विवेचन कीजिये। पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव भी दीजिये।
  87. प्रश्न- न्यूनतम आवश्यक उपागम की व्याख्या कीजिये।
  88. प्रश्न- साझा न्यूनतम कार्यक्रम की विस्तारपूर्वक रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये।
  89. प्रश्न- भारत में अनुसूचित जनजातियों के विकास हेतु क्या उपाय किये गये हैं?
  90. प्रश्न- भारत में तीव्र नगरीयकरण के प्रतिरूप और समस्याओं की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था की समस्याओं की विवेचना कीजिये।
  92. प्रश्न- प्राचीन व आधुनिक पंचायतों में क्या समानता और अन्तर है?
  93. प्रश्न- पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव दीजिये।
  94. प्रश्न- भारत में प्रादेशिक नियोजन के लिए न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के महत्व का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के सम्मिलित कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- भारत के नगरीय क्षेत्रों के प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं?

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